नई दिल्ली।बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। पड़ोसी देश में इतनी जल्दी हालात रक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसक झड़पों की वजह से बदले हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और राजधानी ढाका छोड़ दिया है। उनके भारत में आने की अटकलें लगाई जा रही हैं। बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के चलते PM शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया। हजारों प्रदर्शनकारी शेख हसीना के प्रधानमंत्री आवास घुस गए। इस बीच PM हसीना के प्रधानमंत्री आवास छोड़ने के दावे किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ढाका पैलेस को छोड़कर किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट हो गई हैं। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पीएम हसीना और उनकी बहन रेहाना ने देश छोड़ दिया है और वह भारत आ रही हैं। बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने कहा कि अब अंतरिम सरकार बनाएंगे।
तख्तापलट होने के बाद पूरी स्थिति पर भारत सरकार भी नजर बनाए हुए है। हालातों को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित बांग्लादेश उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहां, पीसीआर की गस्त बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस ने भी सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई है।
बांग्लादेश में हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफे के साथ ही देश छोड़ दिया है। बांग्लादेश में आरक्षण आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है। बीते दिन भड़की हिंसा में करीब 100 लोगों की जान चली गई। जून के अंत में शुरू हुआ आंदोलन सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ था। विरोध के बीच जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने देश में अधिकतर आरक्षण को खत्म कर दिया। इससे पहले रविवार (4 अगस्त) को देश भर में हुई हिंसा में करीब 100 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। पुलिस ने हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं, जिसके चलते ये मौतें हुईं। रविवार को हुई मौतों की संख्या, जिसमें कम से कम 14 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। यह आंकड़ा बांग्लादेश के हाल के इतिहास में किसी भी विरोध प्रदर्शन में एक दिन में सबसे अधिक है। इससे पहले 19 जुलाई को 67 लोगों की मौत हुई थी। उत्तर-पश्चिमी शहर सिराजगंज के इनायतपुर थाने पर हुए हमले में 13 पुलिसकर्मी मारे गये। बताया गया कि रविवार की दोपहर कुछ लोगों ने थाने पर आकर हमला कर दिया। कुछ जगहों पर सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच झड़प भी हुई है। कुछ जगहों पर अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं की मौत भी हुई है।