ग़ाज़ियाबाद। कथा रंग द्वारा आयोजित ‘कथा संवाद’ में ‘कहानी की मंचीय संभावना’ पर विमर्श के दौरान सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक दिनेश खन्ना ने कहा कि रंगमंच पर कहानी आज अपना अलग व्याकरण गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि न केवल भारतीय रंगमंच बल्कि विश्व रंगमंच पर इसकी शुरूआत और उसके विकास का श्रेय हिंदी रंगमंच को जाता है। इसकी शुरूआत देवराज अंकुर ने निर्मल वर्मा की तीन कहानियों के मंचन से की थी। उन्होंने कहा कि कथा रंग की कथा संवाद परंपरा कहानी की मंचीय संभावना का ही एक अंग है। इस अवसर पर साक्षी सुनील निर्देशित नाटक ‘प्याज के फूल’ का भी मंचन किया गया।
जानकी प्रेक्षागृह कवि नगर में आयोजित कथा संवाद में कार्यक्रम अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुभाष अखिल ने कहा कि ‘कथा रंग’ ने कथा वाचन की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कहानी की मंचीय संभावना की तलाश में जो कदम बढ़ाया है भविष्य में उसके सार्थक नतीजे सामने आएंगे। मुख्य अतिथि व वरिष्ठ लेखक विपिन जैन ने कहा कि आज की कहानी सामाजिक सरोकारों से युक्त है। जिसकी वजह से आज के दौर में लिखी जा रही कहानी में मंचीय संभावना अधिक है। विमर्श में योगेन्द्र दत्त शर्मा,सुरेन्द्र सिंघल, आभूषण, सत्य नारायण शर्मा, अवधेश श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, सुभाष चंदर, आलोक यात्री, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. स्वाति चौधरी, दीपाली जैन ‘ज़िया’, तुलिका सेठ आदि शामिल थे।

इस अवसर पर रश्मि वर्मा, शिवराज सिंह और डॉ. प्रीति कौशिक ने रचनापाठ किया। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। कार्यक्रम में ललित जायसवाल, पुलिस आयुक्त (नगर) राजेश कुमार, डॉ. अजय गोयल, राधारमण, रख्शंदा रूही मेहदी, निरंजन शर्मा, ताबिश खैराबादी, डॉ. सुमन गोयल, डॉ. बीना शर्मा, वागीश शर्मा, सरिता शर्मा नागर, भूपेंद्र चौपड़ा, कुलदीप, सुरेश शर्मा ‘अखिल’, अनिमेष शर्मा, प्रताप सिंह, तिलक राज अरोड़ा, दीपा गर्ग, वंदना चौधरी, पराग कौशिक, ओंकार सिंह, अजय मित्तल, टेकचंद, कविता व अभिनव यात्री सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।

