गाजियाबाद। विश्वविख्यात संत एवं शिक्षाविद डॉ.पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ द्वारा स्थापित पावन चिंतन धारा आश्रम में भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण त्यौहार, हरियाली तीज, हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी खूब धूमधाम से मनाया गया।
भारतीय संस्कृति के त्यौहार प्रकृति के साथ तारतम्यता बनाते हुए ही मनाए जाते हैं। इसी प्रकार तीज के पर्व में भी स्त्रियों के साथ प्रकृति भी खिल-खिलाती है। जहाँ एक ओर स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं वहीं दूसरी तरफ प्रकृति भी अपने पूरे श्रृंगार पर होती है। हरियाली की चादर ओढ़े प्रकृति कहीं आम के पेड़ में नई बौर के रूप में होती है तो कहीं पौधों पर नई कोपलों के रूप में। चहचहाते पक्षियों का मधुर कलरव और बारिश की फुहार चहुँओर प्रसन्नता का माहौल बनाता है। ऐसा ही कुछ नज़ारा पावन चिंतन धारा आश्रम में भी था जहाँ प्रकृति का श्रृंगार चरम पर था। श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाला तीज का त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित होता है। अपने जीवनसाथी के प्रति स्नेह-समर्पण के अनूठे बंधन को संजोए रखना हर स्त्री की कामना होती है। अविवाहित बच्चियां एवं विवाहित स्त्रियाँ तीज पर बाबा शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि वे उनके भावी एवं वर्तमान वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकें। आश्रम के स्त्री प्रकल्प सनातन वीमेन द्वारा आयोजित इस उत्सव को आदरणीय गुरुमाँ डॉ.कविता अस्थाना जी के सानिध्य में मनाया गया।अपने अखंड सौभाग्य कि मंगलकामना करते हुए कार्यक्रम का आरम्भ शिव-पार्वती पूजन से किया गया। इसके पश्चात हुए भारतीय नृत्यों की प्रस्तुति में सभी स्त्रियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में कुछ सदस्यों द्वारा स्वरचित रचनाओं का पाठ बड़े भाव और मार्मिकता के साथ किया गया।
सावन के गीत गाते हुए स्त्रियों ने झूले का आनन्द भी लिया। हर्ष औऱ रोमांच से भरे तीज उत्सव में महिलाओं और बच्चियों ने आलता-मेहंदी लगाई, नृत्य किया तथा विभिन्न खेलों की प्रतियोगिता आयोजित कर आनंद किया। गीत-संगीत से सजा माहौल हर तरफ़ प्रसन्नता बिखेर रहा था। पावन चिंतन धारा आश्रम में आयोजित तीज उत्सव में राजनगर एक्सटेंशन की पाल्म रिसोर्ट सोसाइटी की महिलाओं ने भी शामिल हो प्रफुल्लता का अनुभव किया एवं और भारतीय संस्कृति के संरक्षण- संवर्धन का संकल्प लिया। इस अवसर गाज़ियाबाद, दिल्ली, नॉएडा व मेरठ शहर से सेकड़ो स्त्रियां उपस्थित थीं।