नजफगढ़/नई दिल्ली, 17 नवम्बर। मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में श्री हंस नगर आश्रम, पंडवाला कलां, नई दिल्ली के प्रांगण में चल रहे दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के अंतिम दिवस पर आध्यात्मिक गुरु श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि श्री गुरु अर्जुन देव जी ने संत कबीर, संत रविदास, संत तुलसी दास, श्री गुरुनानक देव जी आदि सभी संतो की वाणियों को गुरु ग्रंथ साहब में संकलित किया है। उनके इस संकलन का उद्देश्य समाज को यह दर्शाना था कि सभी महान पुरुष एक ही रास्ते को बताते हैं, समन्वय करते है। संत महापुरुष कभी भी कैंची की तरह समाज को बाँटनें का काम नहीं करते है, बल्कि सुई धागे की तरह समाज को जोड़ते है। समाज में एकता, अखंडता ही प्रगति का आधार है।
रूस-युक्रेन तथा इजराइल-ईरान के युद्ध पर श्री महाराज ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह लड़ाई अहंकार और आपस में सद्भावना व मित्रवत व्यवहार ना होने के कारण हो रही है। अगर इन सभी देशों में आपस में सद्भावना होती तो ये भीषण युद्ध नहीं होता और विश्व युद्ध की जो स्थिति बनती दिखाई दे रही है उसको टाला जा सकता है।
पांडाल में देश-विदेश से आए जनसमुदाय को संबोधित करते हुए श्री महाराज जी ने कहा कि जो भक्त गुरु आज्ञा में रहता है उसका कभी बाल बांका नहीं होता, उसकी कभी हानि नहीं होती है। क्योंकि गुरु आज्ञा किले की भांति होती है। गुरु आज्ञा से चरित्र का निर्माण होता है। गुरु आज्ञा से व्यक्ति अनुशासित होता है। अनुशासित व्यक्ति ही देश और समाज के लिए एक वरदान होता है। इसलिए गुरु आज्ञा में रहना परम आवश्यक है।
सद्भावना सम्मेलन के दौरान यूथ सेमिनार में उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए श्री विभु जी महाराज ने कहा कि युवाओं में जोश होता है, उनकी शक्ति को अगर सकारात्मक दिशा मिल जाए तो हमारा देश आश्चर्यजनक प्रगति कर सकता है। इसी सन्दर्भ में हमारी संस्था ‘मिशन एजुकेशन’ कार्यक्रम को चलाती है। इस अभियान के अंतर्गत हम गरीब बच्चों में निशुल्क शिक्षा-सामग्री का वितरण करते हैं ताकि समाज का कोई भी वर्ग शिक्षा से वंचित ना रहे और बच्चों में परोपकार एवं सेवा की भावना जागृत हो। संस्था द्वारा इस अथक प्रयास से समाज के युवाओं को जोड़ने का और उनमें आध्यात्मिक संस्कार रोपित करने का कार्य किया जा रहा है, ताकि सुसंस्कृत राष्ट्र का निर्माण हो सकें।
भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए गुरु माता श्री अमृता जी ने कहा कि भटका हुआ युवा समाज दुर्गति को प्राप्त हो रहा है। हाल ही में देहरादून की दुर्घटना इसका जीता-जागता उदाहरण है। इसलिए अच्छे संस्कार रोपित करने के लिए सभी छोटे बच्चों और युवाओं को सत्संग में आना अति आवश्यक है। इसी के साथ अनेक विद्वान संत-महात्माओं ने भी अपने सत्संग विचार रखें। इस अवसर पर समिति द्वारा निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाकर स्वास्थ्य लाभ दिया गया। मंच पर बाल कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ देखने को मिली। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।