लखीमपुर खीरी, तिकुनिया। विश्व ध्यान दिवस (21 दिसंबर 2024) के अवसर पर मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा आयोजित ध्यान साधना, सत्संग कार्यक्रम में सैकड़ों साधक सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के परम शिष्य महात्मा लीलानंद जी ने उपस्थित ध्यान साधकों को ध्यान साधना कराई। उन्होंने सनातन भारतीय ध्यान विज्ञान की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए ध्यान के महत्व और उसकी शक्तियों पर प्रकाश डाला।
महात्मा लीलानंद जी ने कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों ने सदियों पहले ही ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान और ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों को समझा। उन्होंने बताया कि ध्यान के अभ्यास से शरीर और मन एकाग्र होकर उच्चतर चेतना की ओर अग्रसर होते हैं। रामायण, वेद, और अन्य शास्त्रों के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने ध्यान की शक्ति को रेखांकित किया।
ध्यान का प्रभाव और लाभ
महात्मा जी ने ध्यान की प्रेरणा देते हुए बताया कि ध्यान से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि यह शारीरिक और आध्यात्मिक उपचार का भी साधन है। उन्होंने हरियाणा के एक व्यक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि ध्यान के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क में जमे खून का आंतरिक उपचार संभव हुआ। इसी प्रकार, उन्होंने एक विद्यार्थी की कहानी साझा की, जिसने ध्यान के माध्यम से पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और 85% अंक प्राप्त किए, जबकि अन्य साथी औसत अंकों तक ही सीमित रहे।ध्यान से मानवता का उत्थान संभव
महात्मा जी ने कहा, “आज के समय में प्रदूषण, हिंसा, और नकारात्मकता जैसे संकटों से उबरने के लिए ध्यान ही एकमात्र समाधान है। गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज की कृपा से प्राप्त ध्यान की विधि से मानव मात्र को सुखी, प्रसन्न और सेवाभावी बनाया जा सकता है।” उन्होंने साधकों से नियमित ध्यान का अभ्यास करने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के अंत में सभी साधकों ने गुरुदेव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की और विश्व शांति व मानवता के कल्याण के लिए प्रार्थना की।
विश्व ध्यान दिवस का यह आयोजन आत्मा और परमात्मा के मिलन का एक अनुपम उदाहरण बना।