महाशिवरात्रि पर आयोजित संगीत सम्मेलन में श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए

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By Pawan Sharma

नई दिल्ली (सुशील कुमार शर्मा)। दिल्ली के त्रिवेणी सभागार में 61 वें महाशिवरात्रि संगीत सम्मेलन का आयोजन हुआ, इसमें पं. मुकुल कुलकर्णी का गायन मंत्रमुग्ध करने वाला था। पं. मुकुल कुलकर्णी ने राग झिंझोटी और खमाज में दादरा गाया।  इनके साथ तबले पर संगति पं. प्रदीप सरकार ने की। पं. देवेन्द्र वर्मा ने हारमोनियम पर रागदारी का निर्वाह करते हुए सुंदर प्रस्तुति की। पं. मुकुल कुलकर्णी को सरगम मंदिर के संस्थापक “पं. जगदीश मोहन सम्मान” से सम्मानित किया गया।
संगीत सभा के दूसरे कार्यक्रम में पं. अभय रूस्तुम-सोपोरी का संतूर वादन रखा गया। इन्होंने राग .बागेश्वरी की प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोह लिया। इनका वादन सुनने वालों ने यही कहा कि ये संगीत मानो उनको कश्मीर की वादियों में खींच लाया हो । इनके साथ तबले पर संगति पं. राम कुमार मिश्रा ने की।  तबले पर कुशल संगति ने श्रोताओं के तालियां अर्जित कीं। राग की बढ़त और बंदिशों की प्रस्तुति निपुणतापूर्वक की गई। कार्यक्रम में अनन्तर गरिमामय उपस्थिति में गृह मंत्रालय केंद्र सरकार की ओर से मुख्य अतिथि श्री राजीव कुमार, संयुक्त सचिव, श्री योगेश मोहन दीक्षित और श्री विनय कुमार चौधरी टौरस ग्रुप के संस्थापक और नेशनल को-इंचार्ज रिसर्च एंड पालिसी (बीजेपी ) की रही।

सरगम मंदिर की ओर से कलाकारों को स्वरश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में और भी कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। रोटरी क्लब संस्था की ओर से आये प्रेजिडेंट नरेंद्र कुमार गुप्ता और आनरेरी सेक्रेटरी प्रमोद धवन भी उपस्थित रहे। इनके अलावा वायलिन वादक असगर , पं. विजयशंकर मिश्रा, पं. अजय पी झा, पं. ज्ञानेंद्र शर्मा, ज्योति शर्मा, हरिओम शर्मा, अंकुश अनामी, श्री मुकेश सिंह, श्री पी. के. भटनागर, श्रीमती मधुरलता भटनागर, श्री योगेश भट्ट, संस्था के सेक्रेटरी श्री दीपक शर्मा और नीरा शर्मा भी मौजूद रहे और कार्यक्रम के स्पांसर्स जय भारत संस्था, आईसीयू नई दिल्ली, डब्ल्यू डीएफ और साहित्य कला परिषद् की भी भागेदारी रही। कार्यक्रम में अशोक श्रीवास्तव और स्वाति शर्मा ने मंच के संचालन में अपना संपूर्ण  योगदान दिया।

उल्लेखनीय है सरगम मंदिर संस्था पिछले 60 वर्षों से निरंतर महाशिवरात्रि संगीत सम्मेलन आयोजित करती आ रही है। इसके संस्थापक पं. जगदीश मोहन स्वयं किराना घराने के अग्रणी गायकों में से थे। उन्होंने अनेक प्रतिष्ठित कलाकरों को इस मंच पर प्रस्तुति देने का अवसर प्रदान किया और उनके अनेक शिष्य देश-विदेशों में संगीत का प्रचार- प्रसार कर रहे हैं।

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