
गाजियाबाद,5जुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए 27,965 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने या उनके विलय के फैसले के खिलाफ गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है। संगठन के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस निर्णय को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21ए (निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा), शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और अनुच्छेद 46 (कमजोर वर्गों की शिक्षा की सुरक्षा) का घोर उल्लंघन है। इससे विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग के लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं।
एसोसिएशन का कहना है कि यदि ये विद्यालय बंद हुए, तो न केवल शिक्षा तक पहुंच बाधित होगी, बल्कि बालिका शिक्षा को भी बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि दूरस्थ विद्यालयों तक पहुँचने में सुरक्षा व सामाजिक बाधाएँ उत्पन्न होंगी। निजी स्कूलों की ऊँची फीस वंचित वर्ग वहन नहीं कर सकता, जिससे सामाजिक असमानता और गहराएगी।
ज्ञापन में सरकार से निम्नलिखित प्रमुख माँगें की गईं:-
विद्यालय बंद करने का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए।
सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
खाली पड़े शिक्षक पदों को तत्काल भरा जाए और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
RTE अधिनियम 2009 का पूर्ण पालन सुनिश्चित हो।
विद्यालय प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी बढ़ाई जाए।
किसी भी नीतिगत परिवर्तन से पहले व्यापक जन संवाद किया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में संगठन के अनिल सिंह (सचिव), सत्यपाल चौधरी (संरक्षण), पवन कुमार शर्मा (उपाध्यक्ष), के.बी. सिंह (कोषाध्यक्ष), धर्मेंद्र यादव (आरटीई प्रभारी) सहित कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।
ज्ञापन की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बाल अधिकार आयोग सहित 10 से अधिक संस्थाओं को भेजी गई है।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने सरकार को चेताया है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो वे जन आंदोलन का रास्ता अपनाने को बाध्य होंगे।