गाज़ियाबाद। अखंड भारत मिशन के संस्थापक, समाज सुधारक एवं चिंतक अश्वनी शर्मा ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में एक सशक्त पत्र भेजा। उन्होंने भारतीय सरकार से बांग्लादेशी हिंदुओं को तात्कालिक रूप से भारत में शरण देने और उनके पुनर्वास के लिए एक समग्र, योजनाबद्ध और व्यापक व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता की बात की। शर्मा ने कहा कि अब भारतीय हिंदुओं को अपनी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक अस्मिता के प्रति सजग और जागरूक होने की आवश्यकता है, क्योंकि जिस प्रकार से अखंड भारत की भूमि का विभाजन हुआ और इसके परिणामस्वरूप वह भू-भाग जो भारत से कटकर अन्य देशों में चला गया, वहां हिंदू समुदाय की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। इस संदर्भ में उन्होंने बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की अभूतपूर्व कठिनाइयों और उत्पीड़न का जिक्र करते हुए इसे और स्पष्ट किया।
अश्वनी शर्मा ने आगे कहा, “यदि हम चाहते हैं कि भारत के हिंदुओं की स्थिति पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं जैसी न हो, तो हमें तत्काल एकजुट होकर इस राष्ट्रव्यापी संकट का समाधान ढूंढना होगा।” उन्होंने 8 दिसंबर को गाज़ियाबाद में आयोजित होने वाली जनआक्रोश रैली में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की और कहा कि इस रैली के माध्यम से हम अपनी एकता और शक्ति का परिचय देंगे, और सरकार तथा समस्त दुनिया को यह सशक्त संदेश देंगे कि हम अपने अधिकारों, अपने अस्तित्व और अपनी गरिमा के लिए दृढ़तापूर्वक खड़े हैं।
अश्वनी शर्मा ने यह भी बताया कि उन्होंने बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा, उनके मानवाधिकारों की रक्षा और उनके सम्मानजनक जीवन की पुनर्स्थापना के लिए गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय को पत्र भेजे हैं। उनका यह दृढ़ विश्वास है कि सरकार इस अत्यंत संवेदनशील और जटिल मुद्दे पर शीघ्र और सुविचारित निर्णय लेकर बांग्लादेशी हिंदुओं को न्याय दिलाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत सरकार बांग्लादेशी हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी, ताकि वे स्वतंत्रता, सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जी सकें।
शर्मा ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल अपनी मातृभूमि के हिंदुओं की सुरक्षा करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी समुदाय उत्पीड़न और अत्याचार का शिकार न हो, चाहे वह किसी भी भू-भाग में हो।”