गाज़ियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन स्थित पाम रिज़ॉर्ट में इस बार छठ पर्व धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया गया। यह पर्व, जो विशेष रूप से उत्तर भारत और देशभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, इस वर्ष भी यहाँ के निवासियों ने अपनी पारंपरिक धार्मिक आस्था के साथ मनाया।
पाम रिज़ॉर्ट में आयोजित इस समारोह में स्थानीय निवासियों ने एकजुट होकर पूजा की तैयारियाँ कीं और पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ पूजा संपन्न की। महिलाओं ने इस दिन व्रत रखा और सूर्य देवता की आराधना के लिए संतान सुख, समृद्धि और परिवार की खुशहाली की कामना की। व्रति संतान सुख प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और तपस्या में संलग्न रहती हैं, और यह आयोजन समाज में सौहार्द और धार्मिक एकता का प्रतीक बनकर उभरा। इस वर्ष छठ पूजा का आयोजन पाम रिज़ॉर्ट के पूल एरिया में किया गया, जहाँ पूजा के लिए विशेष रूप से एक सूर्य कुण्ड तैयार किया गया था। पूजा के पहले दिन ‘नहाय खाय’ से लेकर दूसरे दिन ‘खरीदारी’, तीसरे दिन ‘लोहंडा’ और अंतिम दिन ‘उवाँ’ तक का आयोजन पूरी श्रद्धा से किया गया। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं के बीच स्वादिष्ट पकवानों का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर पाम रिज़ॉर्ट के सभी निवासियों ने आपसी सहयोग से आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न किया। इस आयोजन ने राजनगर एक्सटेंशन में विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को और भी मजबूत किया। छठ पूजा का उत्सव एक ऐसा अवसर है, जब विभिन्न जाति, धर्म और पंथों के लोग एक साथ आकर अपने पारंपरिक त्योहारों को मनाते हैं और आपसी भाईचारे का संदेश देते हैं।
सामाजिक चिन्तक अश्वनी शर्मा ने कहा, “इस तरह के आयोजनों से समाज में एकता और प्रेम का वातावरण बनता है और सामाजिक बुराईयों को दूर करने में मदद मिलती है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस धार्मिक आयोजन के दौरान परिवारों को साथ बिताने का अवसर मिलता है, जो रिश्तों को और भी प्रगाढ़ बनाता है। अश्वनी शर्मा ने आगे कहा, “इस पवित्र पर्व के आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पाम रिज़ॉर्ट में आयोजित छठ पूजा की सफलता से यह साफ है कि गाज़ियाबाद में निवास करने वाले लोग अपनी परंपराओं के प्रति अत्यधिक श्रद्धा रखते हैं और सामूहिक आयोजनों में भाग लेकर समाज की प्रगति में योगदान देने के लिए तत्पर रहते हैं। “उन्होंने अंत में कहा, “गाज़ियाबाद क्षेत्र में इस प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से यह संदेश जाता है कि जब हम अपने पारंपरिक त्योहारों को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हैं, तो इससे समाज में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।”