
गाजियाबाद, 7 जुलाई। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन (GPA) के पदाधिकारियों द्वारा संस्था के शास्त्री नगर स्थित कार्यालय पर एक आवश्यक बैठक आयोजित की गई। बैठक में संगठन के विस्तार, शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण, आरटीई के तहत हो रही अनियमितताओं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों के विलय एवं बंद करने के निर्णय, सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति, रिक्त शिक्षक पदों की भर्ती, और शिक्षा मित्रों की बहाली जैसे गंभीर मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब संगठन केवल क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित न रहकर शिक्षा के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा। इस दिशा में GPA उन सभी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत लोगों, एवं जागरूक अभिभावकों से संपर्क करेगा जो शिक्षा को समान, निशुल्क एवं सबके लिए सुलभ बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
संस्था की वर्तमान अध्यक्ष और मीडिया प्रभारी की अस्वस्थता और अन्य व्यस्तताओं को ध्यान में रखते हुए, संरक्षक श्री सत्यपाल चौधरी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। वहीं पवन शर्मा को संगठन का नया मीडिया प्रभारी नियुक्त किया गया है।
संगठन के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि शिक्षा के बाजारीकरण के विरुद्ध संघर्ष को मजबूत करने हेतु संगठन अब एक राष्ट्रीय अभियान की ओर बढ़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि गाजियाबाद में बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) के तहत वर्ष 2025-26 में लगभग 20,000 गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को दाखिला मिलना चाहिए था, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने केवल लगभग 6,300 बच्चों का ही चयन किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों के बीच गहरी सांठगांठ है।
इतना ही नहीं, चयनित बच्चों में से भी लगभग 3,000 बच्चों का दाखिला आज तक नहीं हुआ है। इस पर GPA ने कड़ा रोष प्रकट करते हुए कहा कि संगठन अब इस मुद्दे को लेकर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन पर दबाव बनाएगा, और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करेगा।
बैठक में यह भी गहरी चिंता व्यक्त की गई कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 27965 से अधिक सरकारी प्राइमरी स्कूलों को मर्ज कर बंद किया जा रहा है, जबकि इन स्कूलों की दशा सुधारने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाय उन्हें बंद करना गरीबों के शिक्षा के अधिकार पर कुठाराघात है।
इसके साथ ही, सरकार रिक्त पड़े शिक्षक पदों की भर्ती नहीं कर रही है, और शिक्षा मित्रों की बहाली भी लटकी पड़ी है, जिससे ग्रामीण व शहरी गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
GPA का मानना है कि यह सारी परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि सरकार नहीं चाहती कि गरीब, मजदूर और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ें।
इसको लेकर GPA जल्द ही प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन शुरू करेगा। सांसदों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर यह अपील की जाएगी कि वे विधानसभा और लोकसभा में शिक्षा के बाजारीकरण, स्कूल बंद करने, RTE में गड़बड़ियों, और एक समान व निशुल्क शिक्षा की माँग को मजूबूती से उठाएँ।
संगठन के सभी सक्रिय पुराने और नए सदस्यों को विभिन्न जिम्मेदारियाँ देकर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आने वाले समय में शिक्षा को देश का एक मुख्य चुनावी और सामाजिक मुद्दा बनाया जाए।
प्रभाव और वास्तविक स्थिति-
इन विद्यालयों के बंद होने से अनुमानतः 10 लाख से अधिक बच्चे, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले वंचित वर्ग, शिक्षा से कट सकते हैं। लड़कियों की शिक्षा, जो पहले से ही सामाजिक बंदिशों का सामना करती है, और अधिक संकट में आ सकती है क्योंकि उन्हें लंबी, असुरक्षित दूरी तय करनी पड़ेगी।
निजी विद्यालयों की ऊँची फीस वंचित वर्ग वहन नहीं कर सकता, जिससे शिक्षा असमानता और सामाजिक विभाजन और बढ़ेगा।
सरकार का यह तर्क कि “स्कूलों का मर्जर गुणवत्ता बढ़ाएगा”, व्यावहारिक नहीं है क्योंकि आज भी करीब 1.5 लाख शिक्षक पद रिक्त हैं, विद्यालयों की इमारतें जर्जर हैं, और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।
सरकार को इन कमियों को सुधारना चाहिए, न कि संस्थान बंद करके जिम्मेदारी से मुक्ति पाना।
सभी विद्यालयों में बुनियादी ढाँचा (जैसे- शौचालय, स्वच्छ पेयजल, फर्नीचर, बिजली आदि) सुदृढ़ किया जाए।
विद्यालयों के प्रबंधन में सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी नीतिगत बदलाव से पूर्व जन संवाद और भागीदारी को प्राथमिकता दी जाए।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन इस निर्णय को बाल अधिकारों, सामाजिक न्याय, और समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध मानता है। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह संवैधानिक दायित्वों का सम्मान करते हुए इस निर्णय को निरस्त कर, बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की रक्षा करे।
इस मौके पर सत्यपाल चौधरी, अनिल सिंह, पवन कुमार शर्मा, धर्मेंद्र यादव, के बी सिंह, नरेश कुमार, प्रमोद वाल्मीकि, नवीन राठौर, राजू सैफी, संजय पंडित, नरेंद्र कुमार, साधना सिंह, कौशल ठाकुर, मनोज, मोनू कुमार, धर्मवीर, आदि लोग उपस्थित रहे।