लक्ष्मी शंकर बाजपेयी के गजल संग्रह का विमोचन

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By Pawan Sharma

नई दिल्ली (सुशील कुमार शर्मा)। अद्विक प्रकाशन के बैनर तले, साहित्य अकादमी के पुस्तकायन में वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मी शंकर बाजपेयी के ग़ज़ल संग्रह ‘अश्कों से लफ़्ज़ों तक’ का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजसेवी एवं लेखिका डॉ.मृदुला टंडन ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे प्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं आलोचक  सुभाष चंदर,  प्रसिद्ध शिक्षाविद जेपी पांडे, चर्चित फिल्मकार रवि यादव और अशोक गुप्ता कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध शायरा डॉ. रेणु हुसैन ने किया।      
इस अवसर पर अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए डॉक्टर मृदुला टंडन ने कहा कि बाजपेयी जी की गजलें दिल में गहरे तक उतर जाती हैं। वह जमीनी सरोकारों से जुड़े शायर शायर हैं। उनको पढ़ना एक अलग अनुभव से गुजरना है। प्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं आलोचक सुभाष चंदर ने कहा कि संग्रह की अधिकांश गजलें अंदर की बेचैनी के अनुवाद के रूप में सामने आती हैं। बाजपेयी जी अपने आसपास के विद्रूपों पर सजग दृष्टि रखते हैं और उनके विरोध का स्वर बुलंद करते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि जो भी टूटने योग्य है, उसे तोड़ने की ईमानदार कवायद की जाए। सबसे अच्छी बात है कि बाजपेयी जी अपनी कोशिशें में अक्सर सफल रहते हैं। प्रसिद्ध शिक्षा विद और साहित्यकार जेपी पांडे ने कहा कि लक्ष्मी शंकर बाजपेयी आम आदमी के शायर हैं। उनकी कोशिश रहती है कि उनकी गजलों में आम आदमी का दर्द उभर कर आए, उसकी पीड़ाओं को स्वर मिले। यही कारण है कि  उनकी गजलें पाठकों को बांध लेती हैं। डॉ. रेणु हुसैन ने कहा कि वाजपेई को पढ़ना एक यादगार अनुभव है। उनको पढ़कर नई पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है। प्रसिद्ध फिल्मकार और कवि रवि यादव ने कहा कि संग्रह की गजलों में कई रंग है जिनमें प्रेम उदासी राजनीति आदि बहुत कुछ है। शायर ने इन सब रंगों से ग़ज़लों का इंद्रधनुष बनाया है। इन गजलों का सबसे बड़ा गुण इनकी संप्रेषण क्षमता है यानी कि ये गजलें सीधे-सीधे पाठक से संवाद करती हैं। इसी कारण पाठक उनसे गहरे से जुड़   जाता है। हिंदी में ऐसे और संग्रहों की जरूरत है ताकि पाठकों को बेहतर गजलों से गुजरने का अनुभव मिल सके। आमंत्रित अतिथियों का स्वागत अद्विक् प्रकाशन की संपादक डॉ स्वाति चौधरी और ज़ोया खान ने किया।

कार्यक्रम के अंत में अद्विक प्रकाशन के संचालक अशोक गुप्ता ने आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ राम अवतार बैरवा, डॉ देवेंद्र कुमार देवेश, रमा पांडे, ममता किरण, उत्कर्ष गर्ग, रजनीकांत शुक्ला, अनिल मीत आदि उपस्थित थे।

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