
गाजियाबाद। प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक धार्मिक अवसर है, जो 144 वर्षों बाद हो रहा है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने और आस्था के इस महापर्व का हिस्सा बनने के लिए उमड़ेंगे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थाओं को सुदृढ़ और अनुशासित बनाने के लिए कई विशेष कदम उठाए हैं।
महाकुंभ के दौरान संगम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कुछ दूरी पैदल तय करनी पड़ सकती है, क्योंकि प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से वाहनों पर पाबंदियां लागू की हैं। ऐसे में यात्रा की योजना बनाते समय समय का सही प्रबंधन और पैदल यात्रा के लिए तैयार रहना आवश्यक होगा। संगम क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा शिविरों का आयोजन किया गया है, जहां श्रद्धालुओं के ठहरने और विश्राम के लिए सुरक्षित और आरामदायक सुविधाएं उपलब्ध हैं। हालांकि समुचित शिविर उपलब्ध हैं, फिर भी आने से पहले अपना ठहरने का स्थान सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान और प्रजापति ब्रह्मकुमारिज द्वारा लगाए गए शिविर विशेष रूप से महाकुंभ के प्रमुख और भव्यतम शिविरों में से हैं, जहां श्रद्धालु दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं। श्रद्धालुओं को मौसम के अनुसार कपड़े और कंबल लाने की सलाह दी जाती है, हालांकि फरवरी में मौसम अपेक्षाकृत कम ठंडा रहने का अनुमान है। व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार, संगम में एक बार डुबकी लगाने के बाद ठंड का अहसास नहीं होता, और करोड़ों श्रद्धालु इस अनुभव से गुजर चुके हैं। साथ ही संगम तट पर उपयोगी सामान भी ले जाएं, अथवा संगम घाट से कुछ दूरी पर सामान को सुरक्षित रखने की व्यवस्था स्वयं सुनिश्चित करें।
महाकुंभ के विशेष दिनों में स्थानीय परिवहन की व्यवस्था सभी की सुविधा को देखते हुए सख्त हो सकती है, क्योंकि बसें शहर से पहले ही रुक जाती हैं और आगे का सफर स्थानीय परिवहन के माध्यम से किया जाता है। इसलिए यात्रा से पहले परिवहन व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी लेना उचित रहेगा। प्रशासन ने विशेष सहायता केंद्रों की व्यवस्था की है, जहां श्रद्धालु अगर समूह से बिछड़ जाएं तो आसानी से मदद प्राप्त कर सकते हैं। एक समर्पित संपर्क बिंदु भी रखने की सलाह दी जाती है ताकि अप्रत्याशित परिस्थितियों में संपर्क साधा जा सके। बच्चों के साथ यात्रा करते समय विशेष सतर्कता बरतना जरूरी है, क्योंकि महाकुंभ के प्रमुख दिनों में भारी भीड़ होती है, और बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
अश्वनी शर्मा, संस्थापक अखंड भारत मिशन और सह संस्थापक वाटिका ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे महाकुंभ में केवल आस्था के साथ भाग लें, न कि सैर-सपाटे के उद्देश्य से। इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वाटिका ने महाकुंभ के प्रमुख शिविरों में निःशुल्क कॉम्पोस्टेबल पानी के पाउच वितरित किए हैं। इस पहल का उद्देश्य प्लास्टिक के उपयोग को कम करना है। अब तक, वाटिका ने 1 करोड़ पानी के पाउचों का वितरण किया है और इसके अतिरिक्त, पर्यावरण के लिए सुरक्षित कॉम्पोस्टेबल पानी की बोतलें भी विकसित की हैं।
महाकुंभ 2025 एक अद्वितीय और प्रेरणादायक धार्मिक अनुभव है, जहां हर श्रद्धालु संगम में स्नान करने और आस्था के इस महापर्व का हिस्सा बनने का सुअवसर प्राप्त करेगा। इस आयोजन में भाग लेते समय श्रद्धालुओं को अपनी सुरक्षा, सहूलत और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। साथ ही, अन्य लोगों को भी महाकुंभ में आने के लिए प्रेरित करें।