
गाज़ियाबाद। पावन चिंतन धारा चैरिटीबल ट्रस्ट के ऋषिकुलशाला प्रकल्प ने अपने विस्तार के 5 वर्ष पूर्ण किये।
ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ का मानना है कि “बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं और उनके जीवन और बचपन को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है”। वंचितों को खाना खिलाना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है व्यक्ति को सशक्त बनाना ताकि वे सम्मान के साथ अपना भोजन अर्जित कर सकें और साथ ही जागरूक और स्वस्थ भी बन सकें ताकि देश और समाज के लिए भी अपना योगदान दे सकें। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है ‘शिक्षा’।

इसी सोच के साथ, डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने ऋषिकुलशाला परियोजना शुरू की। ऋषिकुलशाला प्रकल्प एक अनौपचारिक शिक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सक्षम बनाना है। देश के दस राज्यों के 15 शहरों में ऋषिकुलशाला के 25 केंद्र संचालित हैं जिसमें लगभग 2000 बच्चे अनौपचारिक माध्य्म्म से 150 विवेक टोली सदस्यों के माध्य्म्म से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
ऋषिकुलशाला द्वारा बच्चों में कौशल विकसित कर उन्हें अपने अपने पैरों पर खड़ा कर एक सम्मानजनक जीवन देने का भी कार्य भी किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत बच्चे गंधर्व महाविद्यालय दिल्ली, पॉलीटेक्निक संस्थान में शिक्षा, HCL कंपनी में ट्रेनिग प्राप्त कर रहे हैं।
वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में प्रकल्प के स्मानव्यक श्री भरत सिंह नेगी जी ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़े ऋषिकुलशाला प्रकल्प के संस्थापक डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’, डॉ. कविता अस्थाना ‘गुरुमाँ’, सभी केंद्रों के मास्टर ट्रेनर्स व विवेक टोली के सदस्यों का स्वागत करते हुए ऋषिकुलशाला की प्रगति से अवगत कराया। इसके उपरान्त श्री गुरूजी ने ऑनलाइन मध्यमम से जुड़े 25 केन्द्रों के बच्चों, मास्टर ट्रेनर्स व विवेक टोली सदस्यों से बातचीत और देशसेवा के लिए बच्चों को तैयार करने, उन्हें लीडर की भूमिका में लाने के उनके कार्य के लिए उनका अभिनंदन कर उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने बच्चो से स्वयं में परिवर्तन लाकर समाज और देश में परिवर्तन लाने की बात कही।

गाज़ियाबाद में महिंद्रा एन्क्लेव, राजनगर एक्स्टेंशन और गोविन्दपुरम स्थित केन्द्रों में भी यह लाइव कार्यक्रम बच्चों और विवेक टोली सदस्यों ने सुना। केन्द्र पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम किए और केन्द्रों पर उपस्थित मुख्य अतिथियों ने बच्चों का उत्साह बढाया।