प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संभाले आरटीई के दाखिलों की कमान – सीमा त्यागी

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By Pawan Sharma

गाजियाबाद। जिले मे 5 जोन के अंतर्गत निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 अर्थात आरटीई के दायरे मे आने वाले स्कूलों की संख्या लगभग 1206 है और इनमें कुल सीटों की संख्या लगभग 19666 है इन 19666 सीटों के लिए आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया के चार चरण दिसंबर 2024 से प्रारंभ हुआ और अंतिम यानि चौथा चरण मार्च माह में समाप्त हुआ इन चार चरणों में लाटरी के माध्यम से लगभग 6306 बच्चो का चयन हुआ अगर हम स्कूलों की संख्या और इनमें चयनित बच्चो के आंकड़ों पर गौर करे तो 19666 सीटों के तहत लगभग 6306 बच्चो का चयन दाखिलों के लिए हुआ जिसके  बाद जिले में कुल 13360 सीटों के आस पास सीटे खाली रह गई जिनको भरने के लिए ना तो जिला प्रशासन और ना ही जिला बेसिक शिक्षा विभाग के पास कोई ठोस प्लान है 13360 सीटे खाली रहने का मतलब है कि जिले के 13000 से ज्यादा बच्चों का शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाना । अब आप जिला बेसिक शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली को देखिए कि जिन 6306 बच्चो का चयन दिसंबर माह से चली चार चरणों की लाटरी के तहत हुआ था जून माह करीब करीब समाप्त होने को है और अभी तक केवल 3272 बच्चो का दाखिला ही सुनिश्चित कराया जा सका है यह आंकड़ा खुद बेसिक शिक्षा विभाग के हवाले से मौखिक रूप से दिया गया है जिसके कोई ठोस प्रमाण प्रमाणिकता सिद्ध नहीं करते अगर हम इन आंकड़ों को मान भी ले तो 6 महीने के दौरान शिक्षा विभाग केवल 50% के आसपास ही दाखिले करा पाया है और अभी भी लगभग 3000 से ज्यादा बच्चे अपने दाखिले की प्रतिक्षा में है जबकि इस बार दाखिलों की प्रक्रिया दिसंबर माह से इसलिए शुरू की गई थी कि शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सभी आरटीई के बच्चो के दाखिलों को सुनिश्चित किया जा सके अब जिला बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों को नोटिस और चेतावनी भेजकर अपनी जिम्मेदारी का अहसास शासन और प्रशासन को कराएगा इसी कशमकश में शिक्षा सत्र बीत जाएगा और हर साल की तरह इस साल भी हजारों बच्चे आरटीई के तहत शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाएंगे लेकिन आपको किसी भी स्कूल पर कोई ठोस कार्यवाई नहीं देखने को मिलेगी निजी स्कूल ना तो शिक्षा विभाग का ही आदेश मानने को तैयार है और ना ही जिला प्रशासन का इसलिए आरटीई के अंतर्गत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चो को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलाने और निजी स्कूलों की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए कमान प्रदेश के मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को खुद संभालनी होगी अन्यथा आरटीई के तहत चयनित बच्चे हर साल इसी तरह शिक्षा के अधिकार से वंचित होते रहेंगे।

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