सनातन संस्कृति को प्रतिमा सम्मान मिशन की आवश्यकता है- डॉ पवन सिन्हा ‘गुरूजी’

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By Pawan Sharma

गाज़ियाबाद। “प्रतिमा सम्मान मिशन” डॉ पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ द्वारा प्रतिपादित एक अनूठा प्रयास है जिससे ऐसे कृत्य जिनसे हमारे सनातन धर्म का अपमान होता है उन्हें त्याग कर हम सनातन भाई-बहनों को भगवान के सम्मान के लिए जागृत कर सकें। आज के समय में जब सनातन संस्कृति के स्तंभों-मंदिरों, आश्रमों, धर्मशास्त्रों, गुरुओं-आचार्यों और देवी देवताओं पर निरंतर अपमानित किया जा रहा है, ऐसे में एकजुट हो एकीकृत प्रयासों से उनकी रक्षा करना, हमारा परम दायित्व बन जाता है। अतः मिशन के अंतर्गत पी.ओ.पी. की प्रतिमाओं के उपयोग को वर्जित किया गया है तथा विसर्जन हेतु केवल मिटटी की प्रतिमाओं को महत्ता दी गई है। हमारी पूजन परम्परा से यदि वातावरण दूषित हो रहा है तो उस परम्परा में परिवर्तन अनिवार्य है क्यूंकि पी.ओ.पी. का उपयोग शास्त्र सम्मत नहीं है|

पावन चिंतन धारा आश्रम के तत्वाधान में युवा अभ्युदय मिशन द्वारा दिनांक 19 सितम्बर २०२४ को गंगनहर, मुरादनगर के तट पर सफाई अभियान चलाया गया। जहाँ विशेषकर भगवान गणेश के विसर्जन उपरांत जिन प्रतिमाओं को तिरस्कृत हालत में छोड़ दिया गया उन्हें ससम्मान एकत्रित किया गया। इस पुनीत कार्य में आश्रम विद्यार्थियों और आश्रम सदस्यों के साथ निकट के कॉलेज – मॉडर्न कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, एच.आर.आई.टी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन और आर.के.जी.आई.टी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के लगभग 50 विद्यार्थी भी जुड़े। जहाँ एक ओर भगवान की प्रतिमाओं को इस स्थिति में देखना बेहद दुखद था, वहीं युवाओं में इस सेवा के प्रति संवेदनशीलता को महसूस करना, एक सुखद अनुभव था। सभी विद्यार्थियों का एक मत था कि हमारे पूजनीय भगवान को तिरस्कृत होने से रोकना होगा और उनके सम्मान के लिए हम भक्तों को ही दायित्व उठाना होगा। भगवान गणेश विसर्जन के उपरान्त तथा ‘वर्ल्ड रिवर डे’ से ठीक पहले इस सेवा को करने का निर्णय लिया गया जिससे समाज अपने धर्म के प्रति जागरूक हो और पर्यावरण के बिगढ़ते हालात के प्रति भी सचेत हो| सेवा की इस पूर्ण प्रक्रिया में पुलिस प्रशासन एवं नगर पालिका के कर्मचारियों का भी पूर्णतः सहयोग प्राप्त हुआ।

ज्ञातव्य है कि मिशन में अन्य कई परम्पराएँ जो शास्त्र सम्मत नहीं हैं, उनका विरोध भी किया जाता है जैसे – किसी भी प्रकार के उत्पादों पर, शादी के कार्ड आदि पर यदि भगवान का चित्र छपता है तो अन्ततोगत्वा वह उपयोग उपरांत कूड़े में ही जाता है अतः सभी आश्रम सेवकों द्वारा उसका विरोध किया जाता है| साथ ही ऐसे चित्र तथा अन्य ज्वलनशील पूजन सामग्री को पवित्र अग्नि में समर्पित किया जाता है, कूड़े में नहीं फेंका जाता| देश के कई शहरों में दिल्ली, गाज़ियाबाद, मेरठ, नॉएडा, जयपुर, जोधपुर, कोटा, लखनऊ, कानपूर, मुंबई, पुणे, नागपुर, इंदौर, रायगढ़, अमृतसर, जालंधर, सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, वाराणसी अदि में यह मिशन निरंतर जन मानस को जागरूक करने में अग्रसर है।

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