सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल का वार्षिकोत्सव, विविधताओं और प्रतिभा का शानदार संगम

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By Pawan Sharma

गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के वार्षिकोत्सव “क्लोडिस्कोप 2ओ” को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संपादक लालित्य ललित ने कहा कि बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है। गुरु के बिना सद्गति प्राप्त नहीं होती है। ललित ने कहा कि बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा भावी जीवन में श्रेष्ठ मानव बनाने का काम भी शिक्षक ही करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रस्तुतियों ने यह साबित कर दिया है कि हमारे देश का भविष्य न केवल उज्ज्वल है, बल्कि अनगिनत संभावनाओं से भरा हुआ है। प्रथम सत्र “ऐसा देस है मेरा” के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध बाल रचनाकार रजनीकांत शुक्ला ने कहा कि सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने अपनी प्रतिभा से यह साबित कर दिया है कि जीवन के हर क्षेत्र में यह अपनी सफलता के कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

हिंदी भवन में अभिभावकों से खचाखच भरे सभागार में बच्चों ने “ऐसा देश है मेरा” के माध्यम से संदेश दिया कि हमारा देश विविधताओं का अद्भुत संगम है। देश का हर कोना अपनी अनोखी पहचान संजोए हुए है। यह धरती त्याग, प्रेम और बलिदान की ऐसी कहानियों से सज्जित है, जो हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना सिखाती है। विदेश से आए दंपति व उनके बच्चों के भारत आगमन व बच्चों के वापिस जाने की जिद को बच्चों ने मनोहारी रूप में प्रस्तुत किया। प्रस्तुति के माध्यम से बच्चों ने विदेशी दंपति के अनदेखे अनुभवों के माध्यम से भारत में विविधता में एकता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। जिसमें देश की संस्कृति, अपनेपन और विविधता की पूरी झलक समाहित थी। देश के एतिहासिक स्थल, स्वादिष्ट भोजन और लोगों की गर्मजोशी विदेशियों के साथ अप्रवासी भारतीयों को कैसे मोहती है इसका भी मंचन कुशलता से किया गया था। इस अप्रवासी दंपति के अनुभवों ने भारत को उनके लिए एक खास जगह बना दिया, जिसे वे हमेशा याद रखेंगे। इसके अलावा राजस्थान, पंजाब,  नागालैंड और दक्षिण भारत के मनमोहक नृत्य ने भी सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र भी अदभुत आभा बिखेरे हुए था। जिसमें रॉक शो, भारतीय और पाश्चात्य संगीत की जुगलबंदी आकर्षण का विशेष केंद्र रही। वहीं विविध लोक नृत्यों को भी दर्शकों की भरपूर सराहना मिली। बच्चों ने अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की कि लोक नृत्य किसी भी संस्कृति की आत्मा होते हैं। यह नृत्य हमारे त्योहारों, फसलों और जीवन के हर छोटे-बड़े अवसर को संजोए रखते हैं। कालबेलिया, लावणी, छत्तीसगढ़ी और पंजाब के भांगड़ा पर सभी दर्शक देर तक झूमते रहे। इसके अलावा पूजा रहेजा द्वारा निर्देशित अंग्रेजी नाटक “विजर्ड ऑफ ओज” व अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नाटक “अपना-अपना भाग्य” को भी दर्शकों ने खूब सराहा।
अपने धन्यवाद ज्ञापन में डॉयरेक्टर प्रिंसीपल डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने कहा कि बाल मन एक कोरे कागज की तरह‌ होता है। बचपन में जो इबारत या उस पर दर्ज हो जाती है, बच्चे उसे उम्र भर के लिए आत्मसात कर लेते हैं। उन्होंने अभिभावकों को अपना क्वालिटी टाइम बच्चों के साथ बिताने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को हर दिन अपने बच्चों के साथ कुछ समय अवश्य बिताना चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने बच्चे की रचनात्मकता के प्रति भी सजग रहना चाहिए। स्कूल की निदेशक तन्वी कपूर गोयल ने सभी अभिभावकों का आभार व्यक्त करने के साथ विद्यालय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का संचालन एकता कोहली, मंजु कौशिक, बोस्की, ज्योति, लविका, अर्श, वासुदेव, माही बंसल और आरव ने किया।

इस अवसर पर गोविंद गुलशन, उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’, उमा बख्शी, मंगला वैद, वैभव कपूर, प्रेरणा, नमन जैन, प्रणव जैन, सरू, आलोक यात्री, शकील अहमद, प्रतिभा सिंह, शनाया, मायरा, प्रधान अध्यापिका उमा नवानी, सोनिया सेहरा के साथ-साथ समस्त अध्यापक और अध्यापिकाएं उपस्थित थीं। मंच सज्जा, प्रकाश और संगीत में अनुज, हिमानी, दर्शन, ज्ञानदीप सक्सेना व अदित श्रीवास्तव आदि ने सहयोग प्रदान किया।

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